Tuesday 28 June 2011

तस्वीरें..

तस्वीरें कितनी बना दी हमने ,
                      अपने ही किताबो में .
वो तस्बीर बनू कैसे ,
                      आती है जो ख्वाबो में.
बना तो मई वह भी सकता हूँ, 
                        पर डरता है मेरा मन.
कंही खो न जाये वो मेरे ,
                       ही किताबो में.
तस्वीर की बात चले ,
                     तो बन जाती है आँखों में,
फिर भी जाने दूदुं  क्यूँ ,
                    उसको मै किताबो में.
 

Saturday 25 June 2011

क्या सुनाये....

क्या सुनाये कुछ सुनाया नहीं जाता,
        अब तो दिल भी किसी से लगाया नहीं जाता . 
इस सीने में तो सिर्फ दर्द ही दर्द है ,
       सुना तो दूं पर अपनों को रुलाया नहीं जाता.
खामोश आँखों में अश्क आने नहीं देंगे ,
       कहते तो है सभी पर निभाया नहीं जाता.
ये सुन मुसाफिर मंजिल को जाने वाले ,
     साहिल को समंदर डुबोया नहीं जाता.

Wednesday 22 June 2011

रब ने मुझसे कहा

रब ने मुझसे कहा कुछ दुआ मांग ले ,
                  मैंने रब से कहा तू मुझे जान ले। 
हर दुआ मांगने से है मिलती कहाँ,
                जो देना ही चाहे तो खुद जान ले। 
तू तो सब के दिलों की है जाने रजा,
                फिर क्योँ पूछता  है मेरी रजा.
सारी  दुनिया है तेरी रचायी  हुई, 
                किसके लिए यहाँ क्या मांग ले। 
बिन मांगे  बहुत कुछ  दिया  है मुझे ,
               ये तो अच्छा नहीं हम तुझे मांग ले। 
                              -साहिल सुमन 
.

Thursday 16 June 2011

नामे दुनिया ने साहिल सुमन रख दिया...

दर्द का जब से कोई चुभन रख लिया,
      अपनी खुशियों को हमने दफ़न कर दिया। 
अपनी तुर्बत पर सब की हंसी देखकर ,
      नामे दुनिया ने 'साहिल सुमन' रख दिया।
मै कहीं भी खिला खिल के हँसता रहा ,
      टूटते डाल से मै सिसकने लगा.
कोई भगवन के सर पे चड़ने लगा,
       कोई खुद को मुझी से सजाने लगा.
दर्द देखा न मेरा किसी ने यंहां ,
       मै रो-रो के सबको हंसाने लगा.
बेबसी में भी सब कुछ सहन कर लिया ,
      नामे दुनिया ने 'साहिल सुमन' रख दिया.
कुछ कद्र दान है जो सभाले हुए ,
     आसियाने या बागो में पाले हुए,
वे भी डरते है काटा  चुभे न कहीं ,
     फिर भी मेरे लिए वे निराले हुए.
वेखुदी में भी सब  कुछ सहन कर लिया ,
     नामे दुनिया ने 'साहिल सुमन 'रख दिया.
                                     - साहिल  सुमन 
स्वागत करती मेरी नगमा,
         कशिश दिया है जिसका नाम,
 बंदन करती पाठक जन का
         साहिल सुमन है मेरा नाम.
कशिश हमारी स्वपन परी है,
         न की नसा करने की जाम,
न ये मद है न मदिरा है,
         फिर भी पिने की है जाम .

Sunday 12 June 2011

दिल के सुर्ख दीवारों पर ...

दिल के सुर्ख दीवारों पर चुप-चाप कलम जब चलती है,
                एसा लगता है धड़कन अब मासूक से बाते  करती है.
                                                     - साहिल सुमन

दिल की किताब...

दिल की खुली किताब तो अरमा मचल गए,
    पढ़ना जो चाहा अदब से पन्ने पलट गए।
कुछ अल्फ़ाज समझने की कोशिश अभी की थी,
    की धड़कने कहने लगी तुम कहाँ खोखो गये।
                    - साहिल सुमन       

हाइकु सावन श्रृंखला

१ -  फटी बिवाई       थी धरती व्याकुल       सावन आया । २ - नीलाअंबर      टपक रहा जल      मिट्टी महकी । ३ - हर्षित मन       अब महक रहा      भी...