कौन हिन्दू,कौन मुश्लिम .....
कौन हिन्दू-कौन मुश्लिम;कौन सिक्ख-इसाई,
दर्द तो माँ को होता ही है, लड़ते है सब भाई.
मिले फुर्सत सियासत से तो सुन लेना ये आवाजे,
तड़पती है मगर सुन ले आह भरती नहीं माई.
सियासत बजो ने मिल कर बना डाले है क्या मजहब,
खुद तो शासन ही करते है,लड़ते मरते है हम-भाई.
उठा लो आग हाथो में जला दो उस सियासत को
हमें मिलाने नहीं देता मिटा दो ऐसे मजहब को.
लहू तो एक जैसा है तो क्यूँ मजहब बने खाई,
मिला लो हाथ आपस में मिटा दो आज ऐ खाई.