हम तो हसरतों के,
किताबो में मिलेंगे.
दिल से बुलाओगे,
तो ख्वाबो में मिलेंगे.
साँस बनके रहता हूँ,
दिल के धडकनों में,
हम तो महफ़िलों के,
तरानों में मिलेंगे.
बहारों के चमन में,
कांटे भी मिलेंगे,
महक बनके हम तो,
बागों में मिलेंगे.
साँस भी जो थम गई,
कोई है गम नहीं,
हम तो सगरो के,
किनारों पे मिलेंगे.
वक्त तो ठहरा नहीं,
करता है ये साहिल,
याँद बनके हम तो,
फ़जाओं में मिलेंगे.
किताबो में मिलेंगे.
दिल से बुलाओगे,
तो ख्वाबो में मिलेंगे.
साँस बनके रहता हूँ,
दिल के धडकनों में,
हम तो महफ़िलों के,
तरानों में मिलेंगे.
बहारों के चमन में,
कांटे भी मिलेंगे,
महक बनके हम तो,
बागों में मिलेंगे.
साँस भी जो थम गई,
कोई है गम नहीं,
हम तो सगरो के,
किनारों पे मिलेंगे.
वक्त तो ठहरा नहीं,
करता है ये साहिल,
याँद बनके हम तो,
फ़जाओं में मिलेंगे.