Thursday 18 October 2018

तेरी सूरत पढ़ पढ़

अर्ज है-
तेरी सूरत पढ़ पढ़के,
          कुछ लफ़्ज़ चुराना था।
नज़रें झुका लेती जो,
          पलकों पे आना था।


आ बैठ मेरी नज़रों में तूं,
           नज़र से नज़र चुराना था।
तेरी सूरत पढ़ पढ़के,
            एक ग़ज़ल  बनाना था।
मासूम से होठों की,
                ये सुर्ख जो लाली है...।
बस इनको छू करके,
                 एक तस्वीर  बनाना था।
पलकों पे जो  तेरी  ,
               काज़ल की लकीरें हैं।
इनके इशारों पर ,
               कुछ शब्द चुराना था।
सुना है नज़रों से,
                काज़ल चुराते है...।
हमको उन नज़रों से,
                 कुछ लफ़्ज़ चुराना था।
                                  -साहिल सुमन

                  

Sunday 14 October 2018

जिन्दगी

जिन्दगी  को खूबसूरत  मोड़ देना चाहिए ,
एक खुशी अपने लिए भी ढूढ लेना चाहिए।
       हो कोई  दिलवर जो  तुझपे जां लुटाता हो ,
       बस खुशी से उसका दामन थांम लेना चाहिए।
आसमा के तले अंधेरा  सदा रहता  नही,
उन उज़ालों के लिए थोडा सब्र होना चाहिए।
        इंसान  को इस जहाँ में  है सुकूं मिलता कहाँ ,
        फिर भी खुदा का दिल से बंदे शुक्र होना चाहिए।
इस जहाँ में है कोई जिसको कभी न दर्द हो ,
इसलिए हर वक्त "साहिल"मुस्कराना चाहिए ।
                          -"साहिल सुमन"

Friday 5 October 2018

हम बुद्ध की धरती...

हम बुद्ध की धरती पे  रहते है,
          हमे बुद्धू लोग समझते हैं।
हम सीधे—साधे भोले से,
       हमें नेता—अफ़्फ़्सर ठगते है। हम बुद्ध.......
हम साहब—साहब कहते हैं,
     वे मधुशाले में मिलते हैं।
न बिजली मिले न पानी मिले,
     यहाँ सड़कें टूटी मिलती हैं।हम बुद्ध........
योगी जी ने की जो घोषणा,
     सड़के  गड्डा मुक्त बनायेंगे।
हुई तसल्ली  मखमल बिछगये,
      पुट्ठो पे चोट जो खाये थे।
आस टूट गयी जब ये देखा,
     कागज में सड़क बनाते है। हम बुद्ध........
महल—अटारी खड़ी हो गयी,
       नाज़ायज कब्जा वालों की।
अरबों का जो करे घोटाला,
         कोई शिकवा न शिकायत है।
गरीबों की झोपड़ियों पर,
       बुल्डोजर चलते रहते है।हम बुद्ध.......

"साहिल"से यहाँ देखा न गया,
           कुछ दर्द लिखा ही करते है।
किससे कहें  समझ न आया,
        सो     काग़ज पे उकेरा करते है।हम बुद्ध........
                               — नरेंद्र कुमार पटेल "साहिल सुमन"

हाइकु सावन श्रृंखला

१ -  फटी बिवाई       थी धरती व्याकुल       सावन आया । २ - नीलाअंबर      टपक रहा जल      मिट्टी महकी । ३ - हर्षित मन       अब महक रहा      भी...