Sunday 24 July 2011

वतन के लिए ...


सर पे बंधा तिरंगा कफ़न के लिए,
       दिल क्या जन भी मै  दे दूं वतन के लिए.
जिसने अपने लहू से है पला मुझे,
       उस जमी पे खड़े है नमन के लिए.
धड़कने भी कभी जो यू थमने लगे,
        साँस भी जोड़ दे इस चमन के लिए
साहिल सुमन है दुआ मांगता,
        हिंद धरती मिले हर जनम के लिए.

हाइकु सावन श्रृंखला

१ -  फटी बिवाई       थी धरती व्याकुल       सावन आया । २ - नीलाअंबर      टपक रहा जल      मिट्टी महकी । ३ - हर्षित मन       अब महक रहा      भी...