Thursday 16 June 2011

स्वागत करती मेरी नगमा,
         कशिश दिया है जिसका नाम,
 बंदन करती पाठक जन का
         साहिल सुमन है मेरा नाम.
कशिश हमारी स्वपन परी है,
         न की नसा करने की जाम,
न ये मद है न मदिरा है,
         फिर भी पिने की है जाम .

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हाइकु सावन श्रृंखला

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