Friday 5 October 2018

हम बुद्ध की धरती...

हम बुद्ध की धरती पे  रहते है,
          हमे बुद्धू लोग समझते हैं।
हम सीधे—साधे भोले से,
       हमें नेता—अफ़्फ़्सर ठगते है। हम बुद्ध.......
हम साहब—साहब कहते हैं,
     वे मधुशाले में मिलते हैं।
न बिजली मिले न पानी मिले,
     यहाँ सड़कें टूटी मिलती हैं।हम बुद्ध........
योगी जी ने की जो घोषणा,
     सड़के  गड्डा मुक्त बनायेंगे।
हुई तसल्ली  मखमल बिछगये,
      पुट्ठो पे चोट जो खाये थे।
आस टूट गयी जब ये देखा,
     कागज में सड़क बनाते है। हम बुद्ध........
महल—अटारी खड़ी हो गयी,
       नाज़ायज कब्जा वालों की।
अरबों का जो करे घोटाला,
         कोई शिकवा न शिकायत है।
गरीबों की झोपड़ियों पर,
       बुल्डोजर चलते रहते है।हम बुद्ध.......

"साहिल"से यहाँ देखा न गया,
           कुछ दर्द लिखा ही करते है।
किससे कहें  समझ न आया,
        सो     काग़ज पे उकेरा करते है।हम बुद्ध........
                               — नरेंद्र कुमार पटेल "साहिल सुमन"

हाइकु सावन श्रृंखला

१ -  फटी बिवाई       थी धरती व्याकुल       सावन आया । २ - नीलाअंबर      टपक रहा जल      मिट्टी महकी । ३ - हर्षित मन       अब महक रहा      भी...