जिंदगी के सफ़र हम
रिश्ते निभाते रह गये
हमको मिटाने के लिए
सियासत की चालें चल गये
रुतबा ए बुलंदी देखकर
दुनिया ने सच माना उन्हें
उनकी आतिशबाज़ी में
घर हमारे जल गये
सुबह आए मुस्कुराते
वह हमी से कह गये
फूस की थी जल गयी
नई बनवा कर देंगे हम
देखिए यह बेहयाई
एहसान मुझ पर कर गये
थी मर चुकी इन्सानियत
ज़मीर भी अब मर चुकी
हम किसे अपना कहें
मां थी वो भी मर गयी
आये जनाजे में थे वो
अंगूठे के छाप ले गये
ये ख़ुदा तू है कहां
अब तो जमीं पर देख ले
लाश पर भी देख
वो सियासत चल गये।
रिश्ते निभाते रह गये
हमको मिटाने के लिए
सियासत की चालें चल गये
रुतबा ए बुलंदी देखकर
दुनिया ने सच माना उन्हें
उनकी आतिशबाज़ी में
घर हमारे जल गये
सुबह आए मुस्कुराते
वह हमी से कह गये
फूस की थी जल गयी
नई बनवा कर देंगे हम
देखिए यह बेहयाई
एहसान मुझ पर कर गये
थी मर चुकी इन्सानियत
ज़मीर भी अब मर चुकी
हम किसे अपना कहें
मां थी वो भी मर गयी
आये जनाजे में थे वो
अंगूठे के छाप ले गये
ये ख़ुदा तू है कहां
अब तो जमीं पर देख ले
लाश पर भी देख
वो सियासत चल गये।