Sunday 31 July 2011

कौन हिन्दू,कौन मुश्लिम .....

           कौन हिन्दू,कौन मुश्लिम .....
 
कौन हिन्दू-कौन मुश्लिम;कौन सिक्ख-इसाई,
             दर्द तो माँ को होता ही है, लड़ते है सब भाई.
मिले फुर्सत सियासत से तो सुन लेना ये आवाजे,
            तड़पती है मगर सुन ले आह भरती नहीं माई.
सियासत बजो ने मिल कर बना डाले है क्या मजहब,
            खुद तो शासन ही करते है,लड़ते मरते है हम-भाई.
उठा लो आग हाथो में जला दो उस सियासत को
            हमें मिलाने नहीं देता मिटा दो ऐसे मजहब को.
लहू तो एक जैसा है तो क्यूँ मजहब बने खाई,
            मिला लो हाथ आपस में मिटा दो आज ऐ खाई.

Sunday 24 July 2011

वतन के लिए ...


सर पे बंधा तिरंगा कफ़न के लिए,
       दिल क्या जन भी मै  दे दूं वतन के लिए.
जिसने अपने लहू से है पला मुझे,
       उस जमी पे खड़े है नमन के लिए.
धड़कने भी कभी जो यू थमने लगे,
        साँस भी जोड़ दे इस चमन के लिए
साहिल सुमन है दुआ मांगता,
        हिंद धरती मिले हर जनम के लिए.

हाइकु सावन श्रृंखला

१ -  फटी बिवाई       थी धरती व्याकुल       सावन आया । २ - नीलाअंबर      टपक रहा जल      मिट्टी महकी । ३ - हर्षित मन       अब महक रहा      भी...