Thursday 30 May 2019

एक तू है....

एक तू है,जो महफ़िल में आती नहीं।
           तेरी सूरत है,नजरों से जाती नही।
मेरी हर सुर्खियों में है,छाया तेरी,
            है मगर नाम लब पे भी आती नही।
लर्जिशे लब तेरे कुछ  जो कह ना सके,
           अंजुमन में है लाना जरूरी नहीं।
 तेरी दुनिया कहां है कहां छुप गई
           हां मगर यांद तेरी है जाती  नहीं।
मेरी हर खुशी में है,शामिल कहीं,
            जहां को नजर फिर भी आती नहीं ।
एक तू है जो महफिल में आती नहीं ।
            तेरी सूरत है नजरों से जाती नही।

                          - साहिल सुमन

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