Saturday 25 June 2011

क्या सुनाये....

क्या सुनाये कुछ सुनाया नहीं जाता,
        अब तो दिल भी किसी से लगाया नहीं जाता . 
इस सीने में तो सिर्फ दर्द ही दर्द है ,
       सुना तो दूं पर अपनों को रुलाया नहीं जाता.
खामोश आँखों में अश्क आने नहीं देंगे ,
       कहते तो है सभी पर निभाया नहीं जाता.
ये सुन मुसाफिर मंजिल को जाने वाले ,
     साहिल को समंदर डुबोया नहीं जाता.

हाइकु सावन श्रृंखला

१ -  फटी बिवाई       थी धरती व्याकुल       सावन आया । २ - नीलाअंबर      टपक रहा जल      मिट्टी महकी । ३ - हर्षित मन       अब महक रहा      भी...