दर्द का जब से कोई चुभन रख लिया,
अपनी खुशियों को हमने दफ़न कर दिया।
अपनी तुर्बत पर सब की हंसी देखकर ,
नामे दुनिया ने 'साहिल सुमन' रख दिया।
मै कहीं भी खिला खिल के हँसता रहा ,
टूटते डाल से मै सिसकने लगा.
कोई भगवन के सर पे चड़ने लगा,
कोई खुद को मुझी से सजाने लगा.
दर्द देखा न मेरा किसी ने यंहां ,
मै रो-रो के सबको हंसाने लगा.
बेबसी में भी सब कुछ सहन कर लिया ,
नामे दुनिया ने 'साहिल सुमन' रख दिया.
कुछ कद्र दान है जो सभाले हुए ,
आसियाने या बागो में पाले हुए,
वे भी डरते है काटा चुभे न कहीं ,
फिर भी मेरे लिए वे निराले हुए.
वेखुदी में भी सब कुछ सहन कर लिया ,
नामे दुनिया ने 'साहिल सुमन 'रख दिया.
- साहिल सुमन
- साहिल सुमन