Thursday 16 June 2011

नामे दुनिया ने साहिल सुमन रख दिया...

दर्द का जब से कोई चुभन रख लिया,
      अपनी खुशियों को हमने दफ़न कर दिया। 
अपनी तुर्बत पर सब की हंसी देखकर ,
      नामे दुनिया ने 'साहिल सुमन' रख दिया।
मै कहीं भी खिला खिल के हँसता रहा ,
      टूटते डाल से मै सिसकने लगा.
कोई भगवन के सर पे चड़ने लगा,
       कोई खुद को मुझी से सजाने लगा.
दर्द देखा न मेरा किसी ने यंहां ,
       मै रो-रो के सबको हंसाने लगा.
बेबसी में भी सब कुछ सहन कर लिया ,
      नामे दुनिया ने 'साहिल सुमन' रख दिया.
कुछ कद्र दान है जो सभाले हुए ,
     आसियाने या बागो में पाले हुए,
वे भी डरते है काटा  चुभे न कहीं ,
     फिर भी मेरे लिए वे निराले हुए.
वेखुदी में भी सब  कुछ सहन कर लिया ,
     नामे दुनिया ने 'साहिल सुमन 'रख दिया.
                                     - साहिल  सुमन 
स्वागत करती मेरी नगमा,
         कशिश दिया है जिसका नाम,
 बंदन करती पाठक जन का
         साहिल सुमन है मेरा नाम.
कशिश हमारी स्वपन परी है,
         न की नसा करने की जाम,
न ये मद है न मदिरा है,
         फिर भी पिने की है जाम .

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