Sunday 12 July 2020

हाइकु सावन श्रृंखला

१ -  फटी बिवाई
      थी धरती व्याकुल
      सावन आया ।

२ - नीलाअंबर
     टपक रहा जल
     मिट्टी महकी ।

३ - हर्षित मन 
     अब महक रहा
     भीगा है तन ।

४ - कोयल,मोर
    हैं पपीहा हर्षित
    भू अर्चित है ।

५ - धुन गूंजे हैं
     मन गदगद हैं
    कजरी गाले ।

६ - दिल दास्तां हैं
     ऐतबार कीजिए
     प्यार कीजिए ।

७ -   वर्षा की रात
      ख्वाहिश जल गई
       तू नहीं आयी ।

८ - दिल है तेरा
   आखिरी सांस तक
   तेरा ही रहेगा ।


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हाइकु सावन श्रृंखला

१ -  फटी बिवाई       थी धरती व्याकुल       सावन आया । २ - नीलाअंबर      टपक रहा जल      मिट्टी महकी । ३ - हर्षित मन       अब महक रहा      भी...