Tuesday 6 December 2011
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हाइकु सावन श्रृंखला
१ - फटी बिवाई थी धरती व्याकुल सावन आया । २ - नीलाअंबर टपक रहा जल मिट्टी महकी । ३ - हर्षित मन अब महक रहा भी...
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कितने गमो की दवा बन गई, दिल से तेरी जो दुआ मिल गई, मांगू खुदा से मन्नत मै क्या, जब तू ही मेरी खुदा बन गई. अरमा नहीं बाकी है कुछ ...
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रब ने मुझसे कहा कुछ दुआ मांग ले , मैंने रब से कहा तू मुझे जान ले। हर दुआ मांगने से है मिलती कहाँ, ...
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स्वागत करती मेरी नगमा, कशिश दिया है जिसका नाम, बंदन करती पाठक जन का साहिल सुमन है मेरा नाम. कशिश हमारी स्वपन पर...