दिल के सुर्ख दीवारों पर चुप-चाप कलम जब चलती है,
एसा लगता है धड़कन अब मासूक से बाते करती है.
- साहिल सुमन
एसा लगता है धड़कन अब मासूक से बाते करती है.
- साहिल सुमन
१ - फटी बिवाई थी धरती व्याकुल सावन आया । २ - नीलाअंबर टपक रहा जल मिट्टी महकी । ३ - हर्षित मन अब महक रहा भी...