Friday 7 October 2011

अनमोल हैं मोती के दाने...

अर्ज है-
तेरी नीली आँखों में,दरिया है या है समंदर,
                  भीगी पलकें बता रही,कुछ राज है इनके अन्दर.


अनमोल है मोती के दाने,
      पलकों पर आंशू मत लाना.
दर्द तो तो हर अफसाने में,
         अच्छा तो नहीं है दिखलाना.
सारा जहां ये कहता है,
         कोयले से हीरा निकलता है,
आशा के तुम दीपक हो,
         दुनिया में उजाला फैलाना.
मंजिल के सफ़र पैरों में कभी,
              ठोकर भी जो लग जाये 
डरना नहीं ये याद रहे,
               बस आगा बदते जाना.
तुम सक्षम हो सब करलोगे,
               फिर काँटों से क्या घबराना.  
मै साहिल पत्थर ही हूँ, 
              कंकर- पत्थर क्या दे सकता,
झुक जाये कदम में ये दुनिया,
              बस दिल की दुआ लेते जाना. 

तू मेरी जोहरा-जबी

तू मेरी जोहरा-जबी,
       बनके दिखा इस बज्म में.
आ मेरे अधरों पे रख दे,
            लार्जिसे-लव रक्स में.
आ दिखा दे इस जहाँ को,
           हम अपनी जैलानिया.
फिर डुबो दें इस जहाँ को,
            हर्ष के तूफान में.

हाइकु सावन श्रृंखला

१ -  फटी बिवाई       थी धरती व्याकुल       सावन आया । २ - नीलाअंबर      टपक रहा जल      मिट्टी महकी । ३ - हर्षित मन       अब महक रहा      भी...