ओ बचपन का जमाना था,
जो मुझको याद आता है।
कभी जो मैं यूं गिरता था,
तो बापू थांम लेते थे।
मेरी नादानियों को भी,
वो अक्सर टाल देते थे।
वो रातों को भी अक्सर,
जागकर मुझको सुलाते थे।
उनकी थपकियाँ देकर,
सुलाना,याद आता है।
खिलौना टूटने से भी मै,
रोता था बिलखता था।
तभी माँ सामने आकर,
सीने से लगाती थी।
अभी मै जिद नही छोड़ा,
कि आँचल में छुपाती थी।
ओ आँचल के तले अक्सर,
मुझे अमृत पिलाती थी।
अनकी लोरियां गाकर,
सुनाना याद आता है। ओ बचपन.............