Tuesday 7 November 2017

तू लगा के मेंहदी

तू लगा के मेंहदी हाथों में,
           आ बैठी है  सुर्ख जोडों में।
नज़र उठाके देख जरा,
            सैलाब है मेरी आँखों में।
नाम तेरे जो दिल में है,
            क्या छुप जायेगा मेंहदी में।
जो आँखो में तस्वीर  तेरी,
            क्या उड जायेगा आँधी में।
उल्फ़त की ये चुनरी ,
            जो ओढी है अपने ख्वाबो में।
रंगत इसकी उड नही सकती,
             सावन के बरसातों में।
तेरा 'साहिल' तेरा ही रहेगा,
            हसरत के अरमानो में।
ख़ाक भी हो जाये तो क्या,
            तुर्बत के तहखानो में।

हाइकु सावन श्रृंखला

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