Sunday 12 July 2020

हाइकु सावन श्रृंखला

१ -  फटी बिवाई
      थी धरती व्याकुल
      सावन आया ।

२ - नीलाअंबर
     टपक रहा जल
     मिट्टी महकी ।

३ - हर्षित मन 
     अब महक रहा
     भीगा है तन ।

४ - कोयल,मोर
    हैं पपीहा हर्षित
    भू अर्चित है ।

५ - धुन गूंजे हैं
     मन गदगद हैं
    कजरी गाले ।

६ - दिल दास्तां हैं
     ऐतबार कीजिए
     प्यार कीजिए ।

७ -   वर्षा की रात
      ख्वाहिश जल गई
       तू नहीं आयी ।

८ - दिल है तेरा
   आखिरी सांस तक
   तेरा ही रहेगा ।


संस्कारों की यहां,बलियां चढ़ाये जा रहे

वज़्न- २१२२ / २१२२ / २१२२ / २१२

संस्कारों की यहां,बलियां चढ़ाये जा रहे।
बाप-बेटा साथ में, दारु पिलाये जा रहे।।

हम कहां थे ये बुलंदी,ले हमें आयी कहां।
बोल भी सकते नहीं जो, क्यों सताये जा रहे।।

जीव हत्या पाप है जिनको सिखाया 'बुद्ध' ने।
उस धरा पर जीव की बलियां चढ़ाये जा रहे।।

देखते होंगे कभी जो, स्वर्ग से हमको यहां।
रास्ते हमने दिये जो, वो भुलाये जा रहे।।

बुद्ध साहिल आन रखलो, मान अब रखना मिरा।
ज्ञान आकर फिर से दे दो,तम बढा'ये जा रहे।।


"जनसंख्या खूब बढ़ावत हयं"

जनसंख्या खूब बढ़ावत हयं

देशवा कय बोझ बढावत हयं

केतनो समझावां हय इनकय
ऊपर कय देन बतावत हयं।

तन ढकले कय कपड़ा नाइ
चौथी मेहरारू लावत हयं
ललुआ कय कपड़ा फाटी गइल
कलुआ कय पैंट चिढावत हय।

अहली कय चप्पल टूट गइल
भुइली से भीख मंगावत हय
चिनिया घुइली सोनुआ रमुआ
स्कुली में उधुम मचावत हय।

कापी किताब कछुअय नाइ
मस्टरवय काल पढ़ावत हयं
छोटुआ कर मा चढ़ल हवय
ढिढा कय भार बतावत हय

मोदी जी अब तू ध्यान धरव
सब फिल्मी गाना गावत हय
जनसंख्या खूब बढ़ावत हयं
बस देशवा कय बोझ बढावत हयं।

©® डॉ० नरेन्द्र कुमार पटेल'साहिल सुमन'
मौलिक (स्वरचित)
सर्वाधिकार सुरक्षित


दुल्हन की मौत

          निसा आज बहुत खुश है, और हो भी क्यों ना आज सज धज कर दुल्हन के रूप में बैठी अपने साजन का इंतजार कर रही है। तभी रूपा खुशी से दौड़ती हुई आई और बताया बारात आ गई। निशा बैण्ड बाजे की तेज धुन के बीच पूरी बात सुन नहीं पाई ।लेकिन समझ कर मंद-मंद मुस्कायी ।जयमाला कार्यक्रम चल रहा है,यह आधुनिक तकनीकों पर आधारित स्टेज़ है। दूल्हा और दुल्हन एक दूसरे को जयमाला डालते हुए स्टेज गोलाकार घूमते हुए ऊपर उठ रहा है।यहां सभी लोग खूबसूरत नज़ारों का आनंद लेते हुए,  झूम रहे हैं, बहुत से लोग मोबाइल से खूबसूरत यादें बना रहे हैं। कुछ लोग नशे में हर्ष फायरिंग भी कर रहे होते हैं, तभी अचानक ! सनसनाती हुई एक गोली निशा के माथे से टकराती है और निशा के प्राण पखेरू उड़ जाते हैं।.…...
सर्वाधिकार सुरक्षित
©® डॉ० नरेन्द्र कुमार पटेल
नोट- यह कहानी पूर्णतः काल्पनिक है।


Tuesday 21 January 2020

सियासत

जिंदगी के सफ़र हम
 रिश्ते निभाते रह गये

हमको मिटाने के लिए
सियासत की चालें चल गये

रुतबा ए बुलंदी देखकर
दुनिया ने सच माना उन्हें
उनकी आतिशबाज़ी में
घर हमारे जल गये

 सुबह आए मुस्कुराते
 वह हमी से कह गये
फूस की थी जल गयी
 नई बनवा कर देंगे हम
देखिए यह बेहयाई
एहसान मुझ पर कर गये

थी मर चुकी इन्सानियत
ज़मीर भी अब मर चुकी
हम किसे अपना कहें
मां थी वो भी मर गयी

आये जनाजे में थे वो
अंगूठे के छाप ले गये
ये ख़ुदा तू है कहां
अब तो जमीं पर देख ले
लाश पर भी देख
वो सियासत चल गये।

Thursday 30 May 2019

एक तू है....

एक तू है,जो महफ़िल में आती नहीं।
           तेरी सूरत है,नजरों से जाती नही।
मेरी हर सुर्खियों में है,छाया तेरी,
            है मगर नाम लब पे भी आती नही।
लर्जिशे लब तेरे कुछ  जो कह ना सके,
           अंजुमन में है लाना जरूरी नहीं।
 तेरी दुनिया कहां है कहां छुप गई
           हां मगर यांद तेरी है जाती  नहीं।
मेरी हर खुशी में है,शामिल कहीं,
            जहां को नजर फिर भी आती नहीं ।
एक तू है जो महफिल में आती नहीं ।
            तेरी सूरत है नजरों से जाती नही।

                          - साहिल सुमन

Thursday 18 October 2018

तेरी सूरत पढ़ पढ़

अर्ज है-
तेरी सूरत पढ़ पढ़के,
          कुछ लफ़्ज़ चुराना था।
नज़रें झुका लेती जो,
          पलकों पे आना था।


आ बैठ मेरी नज़रों में तूं,
           नज़र से नज़र चुराना था।
तेरी सूरत पढ़ पढ़के,
            एक ग़ज़ल  बनाना था।
मासूम से होठों की,
                ये सुर्ख जो लाली है...।
बस इनको छू करके,
                 एक तस्वीर  बनाना था।
पलकों पे जो  तेरी  ,
               काज़ल की लकीरें हैं।
इनके इशारों पर ,
               कुछ शब्द चुराना था।
सुना है नज़रों से,
                काज़ल चुराते है...।
हमको उन नज़रों से,
                 कुछ लफ़्ज़ चुराना था।
                                  -साहिल सुमन

                  

हाइकु सावन श्रृंखला

१ -  फटी बिवाई       थी धरती व्याकुल       सावन आया । २ - नीलाअंबर      टपक रहा जल      मिट्टी महकी । ३ - हर्षित मन       अब महक रहा      भी...